Tuesday, September 12, 2006

An Inspiring poem by Harivanshrai Bachchan

Title --कोशिश करनेवालों की हार नहीं होती

“लेहरों से डरकर नौका पार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती,
नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है,
चढती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है.
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है,
चढकर गिरना गिरकर चढना न अखरता है,
अखिर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती.
डुबकियां सिंधु में गोताखोर लगाता है,
जा-जा कर खाली हाथ लौट आता है,
मिलते न मोती सहज ही गहरें पानी में,
बढता दूना उत्साह इसी हैरनी में;
मुठ्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती.
असफ़लता एक चुनौती है, स्वीकार करो,
क्या कमी रह गयी देखो और सुधार करो.
जब तक न सफ़ल हो नींद चैन की त्यागो तुम,
संघर्षों क मैदान छोडकर मत भगो तुम;
कुछ किये बिना ही जयजयकार नहीं होती,
कोशिश करनेवालों की कभी हार नहीं होती.

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